Scope of Tourism Geography in Hindi (पर्यटन भूगोल का विषय-क्षेत्र)

Scope of Tourism Geography
(पर्यटन भूगोल का विषय-क्षेत्र)


'पर्यटन भूगोल' (Tourism Geography) भूगोल की एक नवीनतम शाखा है। इसका विषय-क्षेत्र बहुत व्यापक है। इसको अग्रलिखित तत्त्वों के अन्तर्गत रखा गया है-

1. पर्यटन और सूचना तन्त्र (Tourism and Information Technology System)-पर्यटन सूचना तन्त्र के विकास के कारण ही लोग घर बैठे ही विभिन्न प्रकार की सूचनाएँ प्राप्त कर लेते हैं। इसके कारण लोग विभिन्न प्रकार के पर्यटन स्थलों की ओर आकर्षित होते हैं।इन्हीं के द्वारा विश्व गाँव (Global village) के रूप में उभर कर सामने आया है।

पर्यटन को विकसित करने में विभिन्न प्रकार की पत्र-पत्रिकाओं, पुस्तकों, समाचार पत्र, चलचित्र, टेलीविजन, पर्यटन मानचित्र, फोटो एलबम, कम्प्यूटर, इन्टरनेट प्रदर्शनियाँ आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। इसलिए पर्यटन भूगोल को विकसित करने में सूचना प्रणाली का अध्ययन किया जाना आवश्यक है। CLICK HERE

    2. पर्यटन का स्वरूप (Structure of Tourism)-इसके अन्तर्गत पर्यटन के प्राकृतिक तथा सामाजिक दोनों तत्त्वों को रखा गया है। क्योंकि मानव भ्रमण के लिए प्राकृतिक एवं सामाजिक कारणों से आकर्षित होता है।

     प्राकृतिक तत्त्वों में उच्चावच, (पर्वत, पठार, मैदान तथा मरुस्थलीय) जलवायु, वनस्पति (उद्यान एवं वन आरक्षित क्षेत्र), जीव-जन्तु (पक्षी बिहार-वन्य जीव अभ्यारण) तथा जलीय (महासागरीय, झीलें, नदियाँ) आदि का अध्ययन पर्यटन भूगोल में करते हैं और सामाजिक तत्त्वों के अन्तर्गत धार्मिक, ऐतिहासिक (ऐतिहासिक स्थल, किला, महल, अन्य इमारतें तथा संग्राहलय) सांस्कृतिक लोक प्रथाएँ, कला | एवं साहित्य, हस्तकला, संगीत, नृत्य, मेले तथा त्यौहार (उत्सव) शिक्षा, व्यापार एवं चिकित्सा आदि का अध्ययन पर्यटन भूगोल में करते हैं।

      3. पर्यटन और उद्योग (Tourism and Industry)-यह बात तो निर्विवाद है कि पर्यटन आथिक विकास की कुन्जी है। क्योंकि पर्यटकों के आने पर उनके रहने-सहने की व्यवस्था होती है। जिसस हाटल एवं रेस्टोरेन्टों का व्यवसाय बहुत वृद्धि कर रहा है। जो विदेश मुद्रा अर्जन का विकसित साधन है। इसक अतिरिक्त इससे परिवहन संसाधनों को बढ़ावा मिला है। 

      पर्यटन में अत्याधुनिक परिवहन साधनों का प्रमा किया जाता है और एक मोटी रकम अर्जित की जाती है। इसके द्वारा गाइडों के परिवारों का भी लालन-पाल हो रहा है और स्थानीय विनिर्माण लघु उद्योग को भी बढ़ावा मिलता है। जैसे मथुरा-वृन्दावन में कप में कण्ठी माला निर्माण, पोशाक निर्माण, तस्वीर निर्माण आदि । अतः पर्यटन भूगोल ने एक विकसित उद्योग का रूप धारण कर लिया है। जो पर्यटन भूगोल के अध्ययन का एक हिस्सा है।

        4. पर्यटन और शिक्षा (Tourism and Education)-पर्यटन आज शिक्षा का एक मूल विषय बन चका है। वर्तमान में विश्व के विभिन्न विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में पर्यटन का अध्ययन भूगोल की एक शाखा के रूप में हो रहा है जो पर्यटन भूगोल के नाम से विकसित है। पर्यटन में लोग आज विभिन्न प्रकार के अनुसंधान अथवा शोध कार्य कर रहे हैं। 

        विश्व के अनेक देशों में पर्यटन विभागों द्वारा एवं संस्थाओं द्वारा संगोष्ठियों का आयोजन भी किया जाता है। वर्तमान में होटल प्रबन्धन एवं केटरिंग संस्थान के स्थापन के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (All India Council of Technical Education) से मान्यता प्राप्त कर शिक्षा प्रदान की जाती है। पर्यटन भूगोल आज एक नवीन विषय के रूप में सामने आया है।

          5. पर्यटन और प्रबन्धन (Tourism and Management)-आज पर्यटन की ओर मानव का रुझान बढ़ रहा है। इसलिए पर्यटन प्रबन्धन में लोग अपना भविष्य (कैरियर) बनाने लगे हैं। विश्व के विभिन्न देशों में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की पर्यटन प्रबन्धन संस्थाओं की स्थापना की गयी है। 

          भारत सरकार ने सन् 1983 में भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्धन संस्थान (Indian Institute of Tourism and Travel Management) की स्थापना नई दिल्ली में की थी। जिसे 1992 में ग्वालियर में स्थानान्तरित कर दिया गया। इसके अन्तर्गत विभिन्न प्रादेशिक तथा स्थानीय पर्यटन प्रबन्धन कार्यालयों की स्थापना की गयी है। इन सभी का अध्ययन पर्यटन भूगोल में किया जाता है। यह पर्यटन भूगोल के अध्ययन का मुख्य विषय-क्षेत्र है।
            Source : Rajeev Bansal's (SEPD)