Factors Affecting Tourism Geography in Hindi पर्यटन विकास को प्रभावित करने वाले कारक

पर्यटन विकास को प्रभावित करने वाले कारक 
Factors Affecting Tourism Geography in Hindi 


पर्यटन मूलतः मानव की सबसे प्राचीन एवं मौलिक प्रवृत्ति है. पर्यटन के विकास को प्रभावित करने में निम्नलिखित कारक प्रभावशाली हैं - 
  1. प्राकृतिक कारक (Physical factors)
  2. सांस्कृतिक कारक (Cultural factors)

1. प्राकृतिक कारक
(PHYSICAL FACTORS)


विश्व का सबसे अधिक पर्यटन प्राकृतिक नजारों से प्रभावित होता है। मौसम व जलवायु की विषमताएँ, धरातलीय विविधताएँ, हिमनद्, जलराशियाँ, वनस्पति तथा जीव-जन्तुओं की विविधताएँ में मानव को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इससे पर्यटन प्रभावित होता है। पर्यटन को प्रभावित करने वाले प्राकृतिक तत्त्व निम्नलिखित हैं -

  • मौसम एवं जलवायु (Weather and Climate)-मानव जिस प्रकार की जलवाय में रहता है। वह उसके विपरीत जलवायु को पसन्द करता है। जैसे-गर्म क्षेत्र या प्रदेशों में निवास करने वाले लोग हिमालय की वादियों में जाते हैं और वहाँ की वायुमण्डलीय घटनाएँ जैसे-आँधी, तूफान, कोहरा, पाला तथा भीषण गर्मी आदि पर्यटन को प्रभावित करते हैं।

  • धरातलीय विविधताएँ (Surface Biodiversity)-द्वितीय श्रेणी के उच्चावच जैसे-पर्वत, पठार, मैदान आदि पर्यटन को प्रभावित करते हैं। तंग पर्वत श्रृंखलाएँ, हिमाच्छादित चोटियाँ, सुन्दर मार्ग/मार्ग तथा बुग्याल या घास के मैदान सभी पर्वतों की ओर मानव को आकर्षित करते हैं। पठारी दृश्यावली मानव को लुभाती है। अनेक सुरभ्य पठारों पर स्थित होते हैं। अनेक पठार खनिजों के भण्डार होने के कारण मानवीय आर्थिक क्रियाओं के उद्गम केन्द्र बन गये हैं। जबकि मैदान अपने आप में एक समृद्धि भाग होते हैं।

  • हिमनद एवं जल राशियाँ (Glacier and Water Reserves)-हिमनदों को निहारने को मानव हमेशा आतुर रहता है। अनेक हिमनद जैसे गंगोत्री, यमनोत्री, हिस्पर, पिण्डार तथा यूरोप व उत्तरी अमेरिका के अनेक हिमनद मानव के पर्यटन स्थल हैं। जलराशियाँ जैसे नदियाँ, जल-प्रपात, झीलें, आकर्षक समुद्री पुलिन या फियोर्ड तट मनुष्यों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। CLICK HERE

  • वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं की विविधताएँ (Vegetation and Animals Varieties)-प्राकृतिक वनस्पति तथा जीव-जन्तुओं की विविधता को देखकर मानव आनन्द की अनुभूति करता है। भूमध्य रेखीय सदाबहार वन, कोण धारी वन तथा अनेक प्रकार के जीव-जन्तु मानव को अपनी ओर आकर्षिक करते हैं। जहाँ जैव विविधताएँ विद्यमान हैं वहाँ पर्यटकों का तांता लगा रहता है।

2. सांस्कतिक कारक
(CULTURAL FACTORS) 


पर्यटन के विकास को प्रभावित करने वाला दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कारक सांस्कृतिक तत्त्व है। मनुष्य के तत्त्वों से सांस्कृतिक भू-सतह पर अपनी आवश्यकता, रुचि तथा बुद्धि के द्वारा प्राकृतिक वातावरण के तत्त्वों से वातावरण का निर्माण करता है। सांस्कृतिक कारकों के मुख्य तत्व निम्नलिखित हैं -

  • अधिवास एवं परिवहन साधन (Sattlements and Transport's Models)-विकास को प्रभावित करने वाले सांस्कृतिक कारकों में सबसे महत्त्वपूर्ण एवं मानवीय आवा साधन हैं। रेल मार्ग, वायु मार्ग, सड़क मार्ग तथा आन्तरिक व सामुद्रिक जल मार्ग आदि परिण साधन हैं। आज परिवहन के अनेक द्रुतगामी साधनों ने यात्राओं को सरल बना दिया है। मानवी दरस्थ स्थानों पर भी इन्हीं परिवहन साधनों द्वारा ही सम्भव हो पायी है। पर्यटकों को लाने-ले जा . हेत परिवहन साधनों की आवश्यकता होती है तथा विश्राम हेतु आवास की आवश्यकता होती है। दसति क्षेत्रों में उचित परिवहन साधन तथा आवास व्यवस्थाएँ मौजूद हैं वहाँ पर्यटन का विकास हआ हैं।

  • ऐतिहासिक इमारतें (Historical Buildings)-हमारा इतिहास हमारे क्रमिक विकास साक्षी है। मिश्र के पिरामिड, बेबीलोन के लटकते उद्यान, चीन की दीवार, रोम के शिलालेख. बाजी महल आदि विश्व की धरोहर है। इसी तरह से अशोक के शिला लेख, अजन्ता एवं एलोरा की ऐलीफेप्टा की त्रिमूर्ति, मुगल बादशाहों द्वारा निर्मित ताजमहल, जामा मस्जिद, लालकिला, फतेहपर. सीकर कुतुबमीनार तथा राजपूत शासकों द्वारा निर्मित किलें एवं महल आदि सभी हमको उस गौरवशाली परम्परा की याद दिलाते हैं जिनके आज हम उत्तराधिकारी हैं। मानव प्राचीन वास्तुकला को समझने तथा निहारने का शौक रखता है। अतः जिस भाग में प्राचीन इमारतें अधिक हैं वहाँ पर्यटक अधिक पहुँचते हैं। इस उदाहरण-आगरा, दिल्ली, जयपुर, उदयपुर आदि हैं।

  • राजनैतिक एवं प्रशासनिक इमारतें (Political and Administrative Buildings)-राजनैतिक एवं प्रशासनिक इमारतें भी पर्यटन विकास को प्रभावित करती हैं क्योंकि ये इमारते इतनी भव्य. अलंकारिक एवं तकनीकी ढंग से बनी होती हैं कि मानव बरबस ही उनकी ओर आकर्षित हो जाते हैं। जैसे-व्हाइट हाउस, यू. एन. का प्रशासनिक भवन, न्यूयार्क का डब्ल्यू. टी. ओ. सेण्टर, भारतीय संसद. राष्ट्रपति भवन तथा सचिवालय आदि सभी इमारतें पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षिक करती हैं।

  • धार्मिक इमारतें (Religious Buildings)-प्रत्येक धर्म के अनुयायी अपने धर्म को पुरातन और वैज्ञानिक मानते हैं इसलिए वास्तुकला के अनेक भव्य एवं सुन्दर उदाहरण राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक इमारतों के हैं। जैसे-रोम का कैथोलिक चर्च, इजराइल की अल अक्सा मस्जिद, मक्का एवंमदीने की मस्जिदें, हिन्दू धर्म के अनेक मन्दिर-कोणार्क का सूर्य मन्दिर, मदुराई का मीनाक्षी मन्दिर, मामल्लपुरम के शैफ कट मन्दिर, दिलवाड़ा मन्दिर, तिरुपति का मन्दिर, श्री कृष्ण जन्म-भूमि, केदारनाथ, बद्रीनाथ तथा जगन्नाथ मन्दिर आदि सभी वास्तुकला के बेजोड़ नमूने हैं। जिनको देखने आने वाले पर्यटकों की भीड़ लगी ही रहती है। इसलिए इस प्रकार की इमारतें भी पर्यटन के विकास को प्रभावित करती हैं। 

  • प्रमुख राष्ट्रीय पर्व (Main National Festival)-राष्ट्रीय पर्यों के कारण अनेक पर्यटक भ्रमण हेतु आते-जाते हैं। जो पर्यटक विकास में सहायक हैं। प्रत्येक राष्ट्र अपने राष्ट्रीय पर्यों को एक यादगार रूप में मनाते हैं। जैसे-14 जुलाई फ्रांस का राष्ट्रीय दिवस, 4 जुलाई संयुक्त राष्ट्र अमेरिका का राष्ट्रीय दिवस, 14 अगस्त पाकिस्तान का राष्ट्रीय दिवस, 15 अगस्त भारत का स्वतन्त्रता दिवस तथा 26 जनवरी भारत का गणतन्त्र दिवस आदि। ये राष्ट्रीय दिवस समारोह भव्य एवं आकर्षित होते हैं। इनको देखने लाखों पर्यटक आते हैं।

  • प्रमुख मेले एवं त्यौहार (Major Fairs and Festival)-भारत में अनेक स्थानों पर विभिन्न प्रकार के मेलों तथा त्यौहारों का आयोजन होता रहता है। इनमें पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने की बहुत अधिक क्षमता होती है। कुम्भ मेला विश्व का सबसे बड़ा मेला है जो मात्र चार पवित्र स्थानों पर लगता है। इसके अतिरिक्त कार्तिक मेला, पंजाब में बैशाखी मेला, राजस्थान में पुष्कर मेला, हिमाचल में ज्वालामुखी व काँगड़ा देवी मेला, उत्तर प्रदेश में रामनवमी मेला, श्री कृष्ण जन्माष्टमी मेला, मुणिया पूर्णिमा मेला, ओसाम का बिहभोगली व गोसा मेला, बंगाल का नवरात्रि, पूर्णिमा व नववर्ष मेला, ओड़िसा का जगन्नाथपुरा का मेला, बिहार तथा झारखण्ड में छठ का मेला, महाराष्ट्र में गणेश चौथ, दीपावली, नवरात्री मेला, दक्षिण भारत में पोंगल, ओणम तथा पूसम मेला आदि पर्यटकों के आकर्षण के केन्द्र हैं और विजय दशमा, हाला दीपावली, क्रिसमस, गुड फ्राइडे तथा ईद आदि त्यौहारों पर भी पर्यटक आते हैं। ये सभी पर्यटन के सास्कृतिक स्वरूप को प्रभावित करते हैं।

  • हस्तशिल्प प्रदर्शनी/पस्तक/फिल्म मेला/पेन्टिग (Handicrafts Exhibition/Book/Film/Fair /Paintings)-हस्तशिल्प प्रदर्शनी में मानव द्वारा निर्मित उत्कृष्ट वस्तुएँ, पुस्तक मेला में विभिन्न शीर्षकों पर पुस्तकें आदि एक ही स्थान पर मिल जाती हैं। विश्व की महत्त्वपूर्ण फिल्मों का मेला भी कभी-कभी लगता है। जिसमें एक से एक कलात्मक फिल्म देखने का अवसर प्राप्त होता है। पेन्टिग की प्रदर्शनी भी कला प्रेमियों को आकर्षित करती हैं। इनके देखने के लिए लोग देश-विदेश से आते हैं। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।

  • संगीत एवं नृत्य (Music and Dance)-शास्त्रीय नृत्य एवं नृत्य, नृत्य-महोत्सव समय-समय पर इनका आयोजन पर्यटकों की पसन्द होते हैं। नृत्य को चाक्षुष यज्ञ कहा जाता है।

  • राष्ट्रीय उद्यान/वनस्पति उद्यान (National Garden/Botanicals Garden)-राष्ट्रीय उद्यान एवं वनस्पति उद्यान भी पर्यटन विकास को प्रभावित करते हैं। क्योंकि ये मानव के आकर्षण के केन्द्र बिन्दु होते हैं। प्रत्येक देश में दुर्लभ वनस्पति एवं वन्य जीवों को बचाए रखने के लिए राष्ट्रीय उद्यान/वनस्पति उद्यान को बनाया जाता है

  • पक्षी बिहार एवं वन्य जीवन अभयारण्य (Bird Watching and Wild life Sanctuaries)-पक्षी बिहार एवं वन्य जीव अभयारण्य सदैव ही मानव के आकर्षण का केन्द्र रहे हैं। यह दुर्लभ पशु-पक्षियों के संरक्षण हेतु निर्मित किए जाते हैं। 2009 में भारत में 89 राष्ट्रीय उद्यान (National | Park) और 513 वन्य जीव अभयारण्य (Wild Life Sanctauries) की स्थापना की गयी। कार्बेट पार्क व दुधवा नेशनल पार्क बाघों के लिए प्रसिद्ध हैं। जबकि केवला देवा घना राष्ट्रीय अभयारण्य यूरोपीय सारसों के लिए प्रसिद्ध है। जो जाड़े के मौसम में यहाँ विचरण करने आते हैं और प्रजनन किया करते हैं। इनको देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक यहाँ आते हैं।